गुरुवार, 27 अगस्त 2015


मृदुभाषी, नरम दिल नन्हा   खरगोश
झुलसाने वाली गर्मी आगई थी। पेड़ों में बैठी छोटी छोटी चिड़िया गर्मी से त्राहि त्राहि कर रही थी। सफेद रंग के सुन्दर से प्यारे सा नन्हा खरगोश इस सबसे बेखबर था। उसने फूलों वाली खूबसूरत स्कर्ट पहनी थी। वह जमीन पर धमा चौकड़ी मचा रहा था। गाना गुनगुना रहा था। वह खुश था कि वह जंगल के दूसरी तरफ जाकर मशरूम इकट्ठा करने जारहा था। लेकिन उस पार जाने का रास्ता बहुत ही संकीर्ण था। एक बार में केवल एक ही जानवर इससे गुजर सकता था। नन्हा खरगोश उस पुल में  घुसने ही वाला था कि  उसने देखा कि एक भारी भरकम पहाड़ी बकरा दूसरी ओर से पुल में घुसने की कोशिश कर रहा था। मोटे ताजे पहाड़ी बकरे को पुल में घुसते देखते ही खरगोश पुल से वापस लौट आया और जोर से बोला पहाड़ी बकरे ताऊ जी पहले आप पुल पार कर लें। पहाड़ी बकरे ने आंख में मोटी ऐनक पहन रखी थी। वह बैसाकियों के सहारे पुल पर धीर धीरे चल रहा था। रास्ता संकरा तथा ऊबड़ खाबड़ था। थोड़ी सी चूक होने पर पहाड़ी बकरा नीचे गिर सकता था। नन्हे खरगोश को बहुत घबराहट होरही थी। वह डर रहा था कि कहीं पहाड़ी बकरा अपना संतुलन न खो बैठे और नीचे गिर जाय। इसलिए वह जोर से चिल्लाया पहाड़ी बकरे ताऊ जी ध्यान से चलिये। धीरे धीरे पुल पार कीजिये। पहाड़ी बकरा जब पुल के उस पार पहुच गया तो उसने बड़े प्यार से नन्हे खरगोश का सिर सहलाया और बोला तुम वास्तव में बहुत नरम दिल बच्चा हो।


कोई टिप्पणी नहीं: