गुरुवार, 11 जुलाई 2013

अरविंद केजरीवाल के नाम खुला पत्र

अरविंद जी आप कई सवालों के जवाब जनता पर छोड़ देते हैं। अपनी पूरी मुहिम की ( अ )सफलता की जिम्मेदारी भी जनता पर छोड़ देते हैं। परंतु जनता के चरित्र पर कभी कुछ नहीं बोलते। हम सभी जानते हैं कि जनता बेनाम तथा बेआकार नहीं होती। आंदोलन के दौरान सारे चेहरे और नाम अवश्य नैपथ्य में चले जाते हैं। दुनिया की तमाम क्रांतियों, आंदोलनों के उदाहरण हमारे सामने हैं। सत्ता हाथ में आते ही संघर्षों में दशकों तपे लोग निजी स्वार्थों के मकड़जाल में फस गए।गांधी ने कुछ सोच कर ही आजादी मिलते ही कांग्रेस को भंग करने का सुझाव दिया होगा। परन्तु वह सुझाव नही माना गया क्यों
खैर अभी कृपया इतना स्पष्ट कर दें जाति व्यवस्था पर आधारित गावों की संरचना में जो ग्राम सभाएं नीति निर्धारण की जिम्मेदारी संभालेंगी वे क्या दलितों तथा महिलाओं के प्रश्नों पर अपने पूर्वाग्रहों से ऊपर उठ पाएंगी । यदि नहीं तो इस नई व्यवस्था में हमारा क्या होगा।
समस्त शुभ कामनाओं सहित
गोपा जोशी

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